किरण मोरे ने भारतीय टीम में धोनी के चयन की कहानी सबके साथ बताई है। मोरे ने यूट्यूब शो 'द कर्टली एंड करिश्मा शो' में खुलासा किया है कि धोनी (MS Dhoni) को टीम में लाने के लिए उन्हें सौरव गांगुली को 10 दिन के लिए मनाना पड़ा था.
भारतीय टीम के पूर्व मुख्य चयनकर्ता किरण मोरे
ने भारतीय टीम में धोनी के चयन की कहानी सबके साथ बताई है। मोरे ने यूट्यूब शो 'द कर्टली एंड करिश्मा शो' में खुलासा किया है कि धोनी (MS Dhoni) को टीम में लाने के लिए उन्हें सौरव गांगुली को 10 दिन के
लिए मनाना पड़ा था. शो में पूर्व चयनकर्ता ने कहा कि, उस समय हम एक महान विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश में थे। 2003 वर्ल्ड कप में
राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपर की जिम्मेदारी निभाई थी। ऐसे में जब वर्ल्ड कप खत्म
हुआ तो टीम में एक स्पेशलिस्ट विकेटकीपर की जरूरत थी। उस समय विकेटकीपर के अलावा
हमें पावर-हिटर की भी जरूरत थी। शो में मोरे ने कहा कि, मेरे पार्टनर ने सबसे पहले धोनी को खेलते देखा, उन्होंने मुझे सिर्फ माही
का खेल देखने के लिए कहा. मैं उनका खेल देखने गया था।
धोनी ने उस मैच में 170 में से 130 रन बनाए थे।
धोनी के इस खेल को देखकर हम उन्हें दलीप ट्रॉफी के फाइनल में खेलना चाहते थे। हम
चाहते थे कि धोनी फाइनल में बतौर विकेटकीपर खेलें। ऐसे में मैंने इस बारे में सौरव
गांगुली और दीपदास गुप्ता से बात की। मेरी उन दोनों से बहुत बहस हुई थी। हालांकि
फाइनल में धोनी को मौका मिला और उन्होंने पहली पारी में 21 और दूसरी पारी में महज
47 गेंदों में 60 रन बनाए।
पूर्व चयनकर्ताओं ने कहा कि धोनी ने नॉर्थ जोन
के सभी गेंदबाजों के खिलाफ जमकर रन बनाए थे। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से धोनी को
साबित कर दिया था कि उनमें काफी क्षमता है। उसके बाद मैंने गांगुली से धोनी को
चुनने के बारे में बात की। शुरुआत में गांगुली इसके लिए राजी नहीं थे, दादा को मनाने में मुझे 10 दिन लगे।
महेंद्र सिंह धोनी (MS DHONI) को केन्या दौरे
पर भारत ए के लिए मौका मिला, जहां उन्होंने सात मैचों में दो शतक और एक शतक
की मदद से 362 रन बनाए। इसके बाद उनका चयन भारतीय टीम में हो गया और माही ने अपने
खेल से भारतीय क्रिकेट को बदल दिया।
मोरे ने कहा कि धोनी एक कम्पलीट पैकेज की तरह थे। यह तो बस संयोग की बात थी जो वे चाहते थे। धोनी ने साल 2007 में भारत की कप्तानी भी संभाली और भारत को पहले टी20 वर्ल्ड कप का विजेता बनाया। धोनी की कप्तानी में भारत ने 2011 में वर्ल्ड कप का खिताब जीतने का कमाल किया था। इसके अलावा धोनी की कप्तानी में भारत ने 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब भी जीता था।
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Kiran More persuaded Sourav Ganguly for 10 days for Dhoni
Kiran More has
told the story of Dhoni's selection in the Indian team with everyone. More has
revealed in the YouTube show, 'The Curtly and Karishma Show' that he had to
convince Sourav Ganguly for 10 days to bring Dhoni (MS Dhoni) into the team.
Kiran More, the former chief selector of the Indian team, has told the story of Dhoni's selection in the Indian team with everyone. More has revealed in the YouTube show, 'The Curtly and Karishma Show' that he had to convince Sourav Ganguly for 10 days to bring Dhoni (MS Dhoni) into the team. In the show, the former selector said that, at that time we were looking for a great wicket-keeper batsman. In the 2003 World Cup, Rahul Dravid played the responsibility of wicketkeeper. In such a situation, when the World Cup ended, there was a need for a specialist wicketkeeper in the team. At that time, apart from wicketkeepers, we also needed power-hitters. In the show, More said that, my partner first saw Dhoni playing, he only asked me to watch Mahi's game. I went to see his game.
Dhoni scored 130 out of 170 in that match. Seeing this game of Dhoni, we wanted to play him in the
final of Duleep Trophy. We wanted Dhoni to play as a wicketkeeper in the final.
In such a situation, I talked to Sourav Ganguly and Deepdas Gupta about this. I
had a lot of arguments with both of them. However, Dhoni got a chance in the
final and he scored 21 in the first innings and 60 runs in just 47 balls in the second innings.
Former selectors
said that Dhoni had scored fiercely against all the bowlers of the North Zone.
He had proved to Dhoni with his batting that he has a lot of potential. After
that I spoke to Ganguly about selecting Dhoni. Initially Ganguly was not
agreeable to this, it took me 10 days to celebrate Dada.
Mahendra Singh
Dhoni (MS Dhoni) got a chance for India A on the Kenya tour, where he scored 362 runs in seven matches with the help of two centuries and one century.
After this he was selected in the Indian team and Mahi changed Indian cricket
with his game.
More said that Dhoni was like a complete package. It was just a matter of chance that they wanted. Dhoni also took over the captaincy of India in the year 2007 and made India the winner of the first T20.
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